Anil Kumar

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लेखनी प्रतियोगिता -04-Apr-2022

'जिन्दगी की किताब'

जिन्दगी की किताब

आधी अधूरी बेहिसाब

कुछ पन्नों पर लिखा था

जिन्दगी में था जो नायाब

पर पन्ने पलटते गये

बदलता रहा हर ख्वाब

जिन्दगी की किताब

आधी अधूरी बेहिसाब

रखा था कुछ सम्भाल कर

कि जिन्दगी बने आबाद

खुशियों से खिलता

महकता रहे यह गुल बाग

रंग भरे फूलों से

जिन्दगी हो बेहिसाब

हर पन्ने पर लिखा हो

जिन्दगी का लाजवाब

पर ख्वाब अधूरे

हर लम्हा होते जिन्दगी में

ख्वाब कहाँ है पूरे

बस कल्पनाएँ रह जाती

कुछ इच्छाएँ जगती सोती

और जिन्दगी के पन्नों पर

कुछ अलग कहानी होती

सच और ख्वाबों की स्याही से

जिन्दगी की किताब के

हर पन्ने पर लिखती तकदीर

जिन्दगी का हिसाब

जिन्दगी की किताब

आधी अधूरी बेहिसाब।

 

 

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17 Comments

Reyaan

06-Apr-2022 10:05 AM

👌👏🙏🏻

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Shnaya

06-Apr-2022 02:12 AM

Very nice

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K.K.KAUSHAL (Advocate)

05-Apr-2022 08:06 PM

सुंदर , बधाई हो

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